शादी से पहले, मोहब्बत के बारे में इस्लाम क्या कहता है?
इस्लाम के हिसाब से शादी से पहले का हर रिश्ता गलत माना गया है. क्योंकि शादी से पहले तक हमारा लड़की पर कोई हक़ नहीं होता. इसलिए शादी से पहले किसी लड़की से प्यार का इज़हार करना, उसको प्यार या जिना की नज़र से देखना, उससे दोस्ती करने की कोशिश करना, उसको परेशान करना, उससे रोमांटिक बात करना, सब गलत है, और गुनाह का काम है. इसलिए ऐसा काम नहीं करना चाहिए. अल्लाह कुरान में फरमाता है की "अपनी नज़रे झुका कर रखो " यानी पराई लड़की को मत देखो, अगर लड़की भी लड़के से प्यार करती है तो, लड़की भी गुनाह कर रही है, यानी अब लड़का-लड़की दोनों को गुनाह होगा, इसलिए दोनों का मिलना, बात करना, जिना करना ये सब गुनाह होगा. जिसकी सजा अल्लाह देगा. क्योंकि जब तक शादी नहीं हो जाती दोनों का एक दुसरे पर कोई हक़ नहीं है, और इस्लाम के हिसाब से ये हराम काम है.
इसलिए किसी लड़की को किसी लड़के से शादी से पहले प्यार मोहब्बत नहीं करना चाहिए, फिर भी अगर किसी के दिल पर जोर न रहे और किसी से प्यार हो जाये लड़के को लड़की के घर शादी का रिश्ता भेजना चाहिए, ताकि दोनों की शादी हो सके, और लड़के को उसकी मोहब्बत मिल जाये. अगर लड़की वाले मना कर दे, तो उस लड़की को दिल से निकाल दीजिये, क्योंकि उस पर तुम्हारा कोई हक़ नहीं है. अगर लड़की वाले 'हाँ' कर देते हैं तो रिश्ता पक्का हो जाने के बाद भी, जब तक शादी नहीं हो जाती तब तक लड़का-लड़की का मिलना, बात करना, जिना करना सब गुनाह का काम है, क्योंकि जब तक दोनों की शादी नहीं हो जातो तब तक दोनों का एक दुसरे पर कोई हक़ नहीं है. और इस्लाम के हिसाब से ये गुनाह का काम है.
आजकल की न्यू जनरेशन के मुह से ये बात सुनने को मिलती है, की उस लड़के या लड़की से हम शादी क्यू करे जिससे हम प्यार नहीं करते, लेकिन ये ध्यान रखिये की ये हमारा नहीं अंग्रेजो (western) कल्चर है, बल्कि वो लोग तो सिर्फ प्यार /जिना ही करते हैं, शादी उनके यहाँ का कल्चर नहीं हैं. हमारे यहाँ तो पहले शादी होती है फिर प्यार होता है, और यही इस्लामी और सही तरीका है. तजुर्बा (experience) कहता है की इस तरह की शादी ही सबसे ज्यादा (successful) होति है, प्यार के बाद वाली शादी ज्यादा तर Fail होति देखी गई है, क्योंकि जब लड़का या लड़की प्यार में खुद को बहोत अच्छा प्रेजेंट करते हैं, लेकिन शादी के बाद साड़ी हकीकत सामने आ जाती है.
कुछ लोग ये सोच सकते है की शादी से पहले लड़का-लड़की अगर मिल ले, बात कर ले तो एक दुसरे को समझ लेते है. लेकिन इस्लाम में शादी से पहले अकेले में बात करने की इजाज़त नहीं है लेकिन शादी से पहले लड़का-लड़की एक दुसरे को देख ले और जब दोनों एक दुसरे को पसंद कर ले तभी शादी होनी चाहिए.
जब लड़का-लड़की की शादी हो जाती है तो अब दोनों का एक दुसरे पर हक़ हो जाता है, अब दोनों एक-दुसरे को खूब प्यार कर सकते है. शादी से पहले लड़का लड़की का बात करना, मिलना सब गुनाह था लेकिन शादी के बाद यही काम सवाब बन जाता है, जब मिया बीवी साथ में खुशी-खुशी रहते है तो अल्लाह भी खुश होता है. - और अल्लाह का हुकुम है की मिया बीवी साथ में अच्छे से रहे और एक दुसरे को प्यार करे.
इसका भी ध्यान रखे की कुरान में अल्लाह फरमाता है (पाक दामन औरते, पाक दामन मर्दों के लिए है) इस आयत से ये समझ में आया की शादी से पहले अगर हम खुद को इस तरह के गुनाहों से बचा के रखेंगे तो हमको बीवी भी पाक दामन मिलेगी और मिया भी पाक दामन मिलेगा.
इस्लाम क्या कहता है, लव Marriage के लिए और लव Marriage के नुक्सनात?
आज हम सब जानते है के आज की जनरेशन कितनी फोर्वोर्ड हो चुकी है, उन्हें कोई चीज़ गलत नहीं लगता और आज की जनरेशन में सब से आम होने वाली बुराई लड़का और लड़की में बनने वाले हराम रिश्ते की है.
आज लड़की खुद अपने लिए अपना लाइफ पार्टनर चूज करती है, उसको ये फ़िक्र नहीं, और वो एक बार भी नहीं सोचेगी के क्या इस रिश्ते से उसके माँ-बाप, अल्लाह और रसूल ( Saws) राजी होंगे? आज की कुछ मुस्लिम लडकियो को इस बात की भी परवाह नहीं के वो लड़का मुस्लिम हे या गैर मुस्लिम, क्योंकि बहोत सी ऐसी मुस्लिम लडकिया है जो गैर मुस्लिम लडको के साथ अपनी ज़िन्दगी बरबाद कर रही है और आखिरत भी इसी बात को लेकर कुछ बातें आपके सामने रखते है ये ज़रूर पढ़िए.
एक होता है लव Marriage और एक लव Marriage को एरेंज करवाना :-
ये दोनों बहोत खतरनाक चीजें है, एक तो लड़का-लड़की खुद शादी कर लेते है, और दूसरा इतना तकलीफ देता है अपने माँ-बाप को शादी करवा ने के लिए जिनसे वो चाहते है. याद रखिये इस में सिर्फ नुक्सान ही नुक्सान है और ऐसी की गई शादी में न के बराबर सक्सेस होति है.
क्यों ? क्यों के शादी से पहले जब लड़का-लड़की मिलते है तो वो सिर्फ उनके जिस्म और उनके चेहरे के आशिक होते है, लड़के को लड़की का स्टाइल पसंद आ गया और लड़की को लड़के का और जब तक ये Relationship में होते है जो एक पूरी तरह से हराम काम है तो सिर्फ अपने पॉजिटिव थिंग्स एक दूसरे के सामने रखते है, क्यों के लिमिटेड मुलाकात होति है तो सिर्फ अपनी अच्छाई सामने रखते है/
और जब शादी हो जाती है तो इनकी खामिया भी बहार आने लगती है लड़की को समझ में आता है की सब दिखाना था, और लड़के को समझ में आता है के इस खुबसूरत चेहरे के पीछे कोई और चेहरा भी है, और वो दोनों की पूरी सच्चाई बहार आ जाती है. और बस एक औलाद होने से पहले ही झगड़ा बहेश इतनी हो जाती है के बात कभी-कभी तलाक तक पहोंच जाती है.
क्यों की जाहिर सी बात है अल्लाह के तरीके पे चलोगे तो ही ज़िन्दगी और आखिरत में कामयाब होंगे, जब हम अल्लाह के रूल्स के अगेंस्ट जा कर ऐसी हरकत करेंगे तो इसमें कोई शक नहीं के हम नुक्सान उठाने वालो में से होंगे.
और या बात याद रखना की ज़माना घूम के आती है, आज अगर कोई कपल लव Marriage करता है तो कल इनकी औलाद भी भाग के शादी करेगी क्यों की बच्चे वही करते है जो अपने माँ-बाप को करते देखते है, और जाहिलत इस कदर हे के जब बच्चे बरे होते है तो उनके सामने फख से बोला जाता है के हम ने ऐसे भाग के शादी की थी, हम ने सब के अर्गेस्ट जा के शादी की थी इत्यादि. तो आप अगर इसको इतना फख समझते है तो जाहिर सी बात है इनकी औलाद भी यही करेगी, फिर इन्हें वही तकलीफ का सामना करना परता है वो ही दर्द वही परेशानी से गुज़रना परता है जो इनके माँ-बाप अपने शादी के वक़्त गुजारे थे, क्यों की कल जिस जगह आपके माँ-बाप थे आज तुम उस जगह होगे.... फिर तुम्हे अहसास होगा की क्या गुजरी थी तुम्हारे माँ-बाप पे जब तुम्हारी बेटी ये कहेगी के मुझे उस से ही शादी करनी है.
याद रखिये इस्लाम प्यार के और मोहब्बत के खिलाफ नहीं, इस्लाम लव Marriage के खिलाफ बिलकुल नहीं है, लेकिन इस्लाम कभी ये इजाज़त नहीं देता के आपने माँ-बाप के मर्जी के उनके पसंद के खिलाफ शादी करे, अगर कोई लड़की किसी लड़के को पसंद हो या किसी लड़की को कोई लड़का पसंद हो तो आप उन्हें डायरेक्ट निकाह का पैगाम भेज सकते हो, ये असल में लव Marriage होति है, ये नहीं के शादी से पहले whatsapp पर चैटिंग और कालिंग पे मसरूफ रहे और हराम काम करते जाये, ये लव नहीं होता ये बस आपकी Mentality satisfaction होति है जो पूरी तरह इस्लाम के खिलाफ है,
इसके नुक्सान भी बहोत है उन में से कुछ आप के सामने रखते है:
जैसे के जब दोनों में कुछ झगरा कोई बात को लेकर बहेस होति है और लड़का अपने माँ-बाप को कहता है के देखो आपकी बहु कैसे मुझसे जुबान लड़ा रही है मुझसे गलत बात कर रही है तो उसको यही जवाब मिलता है के बेटा आप ही ने अपनी पसंद से शादी की थी, आप ही उनको समझो और आप ही उनका सामना करो इस बारे में हमें कुछ नहीं बोलना, और जब लड़की अपने माँ-बाप से कहती है की वो मुझपे हाथ उठाता है, मुझे मरता है, गालिया देता है तो उस लड़की के माँ बाप भी वही जवाब देगे के बेटी हम से रिश्ता तोर कर तूने उससे शादी की थी, तूने अपनी मर्जी से उस से शादी की थी तो तुम दोनों ही देख लेना वो सब हम से कुछ शिकायत न करो, दोनों family हाथ उठा देंगे कोई support नहीं करेगा. आप बे सहारा हो जावोगे.
ये ही नसीहत है आप सब से, के इन कामो से रुके, अल्लाह ने कुरान में फ़रमाया وَخَلَقْنَاكُمْ أَزْوَاجًا, (Surah-An-Naba, Aayat No.8) और हमने तुम्हे जोड़ो (Pairs) में बनाया (and we created you in pairs) जब अल्लाह ये कह रहा है के उस ने हम सब के लिए लाइफ पार्टनर बनाया है तो हमें क्या ज़रूरत है के अपने तरफ से तलाश कर ने की. हमारे रसूल (SAWS) ने फ़रमाया हम ने दो मोहब्बत करने वालो के लिए निकाह जैसी बेहतरीन और कोई चीज नहीं देखी.
आखिर में सब माँ-बाप से भी ये गुज़ारिश है की अगर आपके बच्चो से ऐसी गलती हो जाये तो उन्हें इत्मीनान से समझाईये, न की उन्हें मारे या कोई गलत एक्शन ले उनपे उन्हें इस्लाम के तरीके से समझाएं के बस कुछ दिन का एक जूनून होता है इस से बाज़ आये वरना बहोत नुक्सान और सिर्फ नुक्सान उठाने वालो में से हो जाओगे.
अल्लाह हमको इस्लाम के हिसाब से चलने की तोफिक अता करे और आज कल के ज़माने की नई-नई झूटी और गलत बातो से बचाए और दुनिया में आने का मकसद (aim) ध्यान रखे की अल्लाह ने हमको सिर्फ अपनी इबादत करने के लिए दुनिया में भेजा है और हमको जोर देकर वही करना है.
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